Nyaayalaya ka Nirnay: Bhojshala ki Scientific Padtal

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 यह समाचार मध्यप्रदेश के भोजशाला मंदिर एवं कमाल मौला मस्जिद के परिसर की वैज्ञानिक जांच और सर्वेक्षण के बारे में है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में यह आदेश दिया है। इसका उद्देश्य वैज्ञानिक तथा तकनीकी संदर्भ में भोजशाला की महत्ता और ऐतिहासिकता को जांचना है। यह जांच विवादित परिसर में भोजशाला मंदिर और कमाल मौला मस्जिद के संरचनाओं के विश्वसनीयता को सुनिश्चित करने के लिए है।

महान्यायाधीश एसए धर्माधिकारी और जस्टिस देव नारायण मिश्र की पीठ ने एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन करने के लिए आदेश जारी किया है। इस कमेटी के माध्यम से ग्राउंड पेनिट्रेशन रडार सिस्टम के सहित विभिन्न वैज्ञानिक तकनीकों का उपयोग करके परिसर के पचास मीटर के दायरे में समुचित स्थानों पर जरूरतमंद खुदाई की जाएगी। इसके बाद रिपोर्ट तैयार की जाएगी और उसे 29 अप्रैल के पहले न्यायालय को प्रस्तुत करना होगा। उसके बाद अगली सुनवाई में निर्णय लिया जाएगा।

इस न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से, विवादित स्थल की सटीकता और उसके संरचनात्मक महत्त्व को सामने लाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके साथ ही, यह फैसला उस समय के बारे में भी है जब समाज में विभिन्न धार्मिक संप्रदायों के बीच सांस्कृतिक और सामाजिक संघर्ष देखने को मिल रहे हैं। यह निर्णय समग्रता और सामाजिक एकता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।

Nyaayalaya ka Nirnay: Bhojshala ki Scientific Padtal


क्या है पूरा विवाद 

भोजशाला: इतिहास के पन्नों से न्यायालय की चौखट तक

धार, मध्य प्रदेश की प्राचीन भूमि पर एक हजार साल पहले परमार वंश का शासन था। इसी धरती पर राजा भोज ने 1000 से 1055 ईस्वी तक राज किया। उनकी भक्ति सरस्वती देवी के प्रति अनन्य थी, और उन्होंने 1034 ईस्वी में एक महाविद्यालय की स्थापना की, जिसे आज हम भोजशाला के नाम से जानते हैं। हिंदू पक्ष इसे सरस्वती देवी का मंदिर मानता है, जबकि मुस्लिम समाज इसे कमाल मौला मस्जिद कहता है। इस विवाद के बीच, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है।


हाईकोर्ट का फैसला

एडवोकेट विष्णु शंकर जैन के अनुसार, "हाईकोर्ट ने एएसआई सर्वे के आदेश दिए हैं।" एक पांच सदस्यीय कमेटी बनाई जाएगी, जो छह सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। यह फैसला 1991 के पूजा स्थल अधिनियम से छूट प्राप्त है, क्योंकि यह एक एएसआई-संरक्षित स्मारक है।


आगे की राह

इस फैसले से भोजशाला के इतिहास और उसके वर्तमान उपयोग के बारे में एक वैज्ञानिक और निष्पक्ष जांच की उम्मीद है, जो संभवतः इस विवाद को सुलझाने में मदद करेगी।


**मध्य प्रदेश में भोजशाला के वैज्ञानिक सर्वे की महत्वपूर्णता**

मध्य प्रदेश में स्थित भोजशाला के वैज्ञानिक सर्वे की जरूरत व्यापक और महत्वपूर्ण है। इस सर्वे के माध्यम से विवादित स्थानों की वास्तविकता को सामने लाने के लिए वैज्ञानिक तथा प्रामाणिक आकलन किया जाएगा।


1. **ऐतिहासिकता का प्रमाणिक अनुसंधान:**

   भोजशाला की ऐतिहासिकता और महत्व को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझने के लिए वैज्ञानिक सर्वे की आवश्यकता है। इससे स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी महत्वपूर्णता को साबित किया जा सकेगा।


2. **संरक्षण और पुनर्वास:**

   भोजशाला के स्थान की समृद्धि और संरक्षण के लिए वैज्ञानिक सर्वे अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह स्थान किसी भी आकस्मिक या अवैध गतिविधियों से बचाए रखने में मदद कर सकता है।


3. **सामाजिक सहयोग और समझौते:**

   वैज्ञानिक सर्वे के आधार पर, सामाजिक संगठनों और धार्मिक समुदायों के बीच समझौते और समर्थन की प्रक्रिया में मदद मिल सकती है।


4. **ऐतिहासिक और धार्मिक संरक्षण:**

   वैज्ञानिक सर्वे के माध्यम से, भोजशाला के स्थान की ऐतिहासिक और धार्मिक महत्वपूर्णता को सहेजा जा सकता है और उसका संरक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है।


5. **सामाजिक समर्थन और सहयोग:**

  वैज्ञानिक सर्वे के माध्यम से, सामाजिक संगठन और सरकार को स्थानीय समुदायों के साथ सहयोग करने का माध्यम मिलता है।


इस प्रकार, मध्य प्रदेश में भोजशाला के वैज्ञानिक सर्वे के माध्यम से स्थानीय समुदायों को उनकी ऐतिहासिक और धार्मिक विरासत को समझने और संरक्षित रखने का अवसर मिलता है।


Tejhind News 


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