"लद्दाख की पुकार: सोनम वांगचुक का अनशन, एक उम्मीद की किरण"

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 "लद्दाख की पुकार: सोनम वांगचुक का अनशन, एक उम्मीद की किरण"

लद्दाख की बर्फीली वादियों में, एक आवाज़ गूंज रही है - एक आवाज़ जो न्याय की मांग कर रही है, एक आवाज़ जो अपने लोगों के लिए संवैधानिक सुरक्षा चाहती है। यह आवाज़ है सोनम वांगचुक की, जो पिछले 20 दिनों से भूख हड़ताल पर हैं।


उनकी मांग सरल है - लद्दाख को छठी अनुसूची के तहत राज्य का दर्जा और संवैधानिक सुरक्षा। लेकिन उनकी सादगी के पीछे एक गहरी चिंता है, एक चिंता जो उन्हें और हजारों अन्य लोगों को उपवास की ओर ले जाती है।


सोनम वांगचुक का अनशन एक शांतिपूर्ण प्रतिरोध है, लेकिन उनकी थकान और चिंता उनके चेहरे पर स्पष्ट है। उनके वीडियो संदेशों में उनकी आवाज़ में एक दृढ़ संकल्प है, लेकिन उनकी आंखों में एक विनम्रता भी है। वे न केवल अपने लिए बोल रहे हैं, बल्कि उन सभी के लिए जो लद्दाख की भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित और समृद्ध भविष्य चाहते हैं।


उनकी भूख हड़ताल ने एक जन आंदोलन को जन्म दिया है। लद्दाख के लोग, जो अक्सर अपनी शांति और सहिष्णुता के लिए जाने जाते हैं, अब एक साथ खड़े हो गए हैं। उनका संदेश स्पष्ट है - वे अपने अधिकारों के लिए लड़ेंगे, लेकिन शांति और गरिमा के साथ।


सोनम वांगचुक की आवाज़ लद्दाख की पहाड़ियों में गूंज रही है, और उनका संदेश देश भर में फैल रहा है। उनकी भूख हड़ताल ने एक बड़े सवाल को उठाया है - क्या लोकतंत्र में एक आवाज़ को सुना जाएगा? क्या उनकी और लद्दाख के लोगों की मांगों को पूरा किया जाएगा?


जैसा कि सोनम वांगचुक ने कहा, "बहुत बहुत धन्यवाद और जय हिंद।" उनकी आवाज़ और उनके संघर्ष की गूंज अब हम सभी के दिलों में है।


कोन है सोनम वांगचुक

सोनम वांगचुक एक प्रतिष्ठित भारतीय अभियंता, नवाचारी, और शिक्षा सुधारक हैं। उनका जन्म 1 सितंबर 1966 को हुआ था। वे स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SECMOL) के संस्थापक-निदेशक हैं, जो 1988 में छात्रों के एक समूह द्वारा स्थापित किया गया था। वांगचुक को उनके आविष्कार और शिक्षा में योगदान के लिए व्यापक रूप से सम्मानित किया गया है, जिसमें बर्फ स्तूप तकनीक का आविष्कार भी शामिल है, जो कृत्रिम ग्लेशियर बनाने के लिए पानी को संचित करता है।

"लद्दाख की पुकार: सोनम वांगचुक का अनशन, एक उम्मीद की किरण"



उन्हें फिल्म 3 इडियट्स' में आमिर खान द्वारा निभाए गए किरदार 'फुंगसुक वांगडू' की प्रेरणा के लिए भी जाना जाता है। वांगचुक ने शिक्षा प्रणाली में सुधार और सामाजिक कल्याण के लिए अपने काम के माध्यम से लद्दाख के युवाओं की जिंदगी में सुधार लाने का प्रयास किया है। उनके इन्हीं प्रयासों के लिए उन्हें रमन मैग्सेसे पुरस्कार सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।


क्या है पुरा मामला 
लद्दाख के सामाजिक कार्यकर्ता और पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक के भूख हड़ताल पर है। वांगचुक लद्दाख को छठी अनुसूची के तहत राज्य का दर्जा और संवैधानिक सुरक्षा उपाय दिए जाने की मांग कर रहे हैं। वे पिछले 20 दिनों से भूख हड़ताल पर हैं और उन्होंने इसे 'क्लाइमेट फास्ट' नाम दिया है। उनके समर्थन में अन्य लोग भी उपवास कर रहे हैं।

वांगचुक ने सोशल मीडिया पर अपनी भूख हड़ताल के बारे में अपडेट दिया है, जिसमें उन्होंने बताया कि वे केवल पानी और नमक का सेवन कर रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि उनकी मांगों पर सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, जो कि लोकतंत्र के लिए असामान्य है। उन्होंने देश के नेताओं और जनता में अपना विश्वास बनाए रखा है और उम्मीद जताई है कि प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और राष्ट्रपति उनकी मांगों पर ध्यान देंगे और न्याय करेंगे।

लद्दाख की एपेक्स बॉडी लेह (ABL) और कारगिल डेमाक्रेटिक अलायंस (KDA) के साथ केंद्रीय गृह मंत्रालय की बातचीत सफल नहीं हुई थी, जिसके बाद वांगचुक और KDA ने भूख हड़ताल शुरू की थी। इस आर्टिकल के माध्यम से वांगचुक के संघर्ष और लद्दाख के लोगों की मांगों को सामने लाया गया है।

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